तुलसीदास – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान | Tulsidas ki do Rachnaye, Bhavpaksh, kalapaksha, Sahitya me Sthan

तुलसीदास – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान | Tulsidas ki do Rachnaye, Bhavpaksh, kalapaksha, Sahitya me Sthan

  Trick : विनय और राम दो कवि हैं।

         विनय पत्रिका      रामचरितमानस       दोहावली       कवितावली  

तुलसीदास राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि थे। रामभक्त होते हुए भी सभी देवी-देवताओं की वन्दना की। ये सगुण ईश्वर को मानते थे और तुलसीदास का दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक एवं समन्वयवादी था। कविवर तुलसीदास हिन्दी के श्रेष्ठ कवि के साथ-साथ समाज-सुधारक भी माने गये। इसके लिए उन्होंने काव्य शास्त्र को माध्यम बनाकर हिन्दी साहित्य को श्रेष्ठ रचनाएँ प्रदान कीं।

इनकी भाषा संस्कृतनिष्ठ है। भाषा में अवधि एवं ब्रजभाषा के शब्दों के साथ-साथ कहीं-कहीं अरबी, फारसी, बंगाली, पंजाबी भाषा का प्रयोग भी मिलता है। मुख्य रूप से अवधी का प्रयोग हुआ है।इन्होंने प्रबन्ध और मुक्तक दोनों शैलियों को अपनाया है। दोहा, चौपाई, कवित्त, सवैया आदि छन्दों का प्रयोग किया है।

तुलसीदास का साहित्य में सर्वोपरी स्थान माना गया है।इनको हिन्दी साहित्याकाश का सूर्य माना जाता है।

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