यतीन्द्र मिश्र – जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा-शैली, साहित्य में स्थान | Yatindra Mishra ka Jeevan parichay, Rachnaye, Bhasha Shaili, Sahitya me sthan

यतीन्द्र मिश्र – जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा-शैली, साहित्य में स्थान | Yatindra Mishra ka Jeevan parichay, Rachnaye, Bhasha Shaili, Sahitya me sthan

इसमें केवल 4 बिंदु लिखे –

जन्मतिथि………… पिता का नाम………….. शिक्षा-दीक्षा…………..मृत्यु…………….

यतीन्द्र मिश्र जी का जन्म 1977 ई० में अयोध्या में हुआ था।इनके पिता का नाम उनके पिता ………….।इनकी शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से हुई। इसके बाद ये स्वतंत्र रूप से हिंदी तथा कलाओं में लिखना प्रारम्भ कर दिया। इनका देहावसान ( अभी जीवित हैं ) को हुआ।

    TRICK :  “बाजार में यदा कदा लतासुर देव मिले”

बाजार – बाजार में खड़े हो कर             

यदा कदा – यदा कदा       

लतासुर – लतासुर गाथा     

देव – देवप्रिया 

यतीन्द्र मिश्र का भाषा पर पूर्ण अधिकार है। वे सरल, सुबोध एवं व्यवहारिक भाषा का प्रयोग करते थे।  इन्होंने आवश्यकता अनुसार तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग किया हैं। ये मुहावरों और लोकोक्तियों का भी प्रयोग की हैं।

इन्होंने भावात्मक स्थलों पर भावात्मक शैली जिससे की भाषा सरल, सरस एवं मधुर हो गई। संस्मरणात्मक शैली कलाकारों के संदर्भ में। विवेचनात्मक शैली विषय का विवेचना करते समय।

कवि की गद्य में सरसता, कोमलता तथा रोचकता आना स्वाभाविक है। यतीन्द्र मिश्र भावुक सहृदय हैं। हिंदी साहित्य, कला, संस्कृति आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण स्थान रहा।

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