सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान | Surykant Tripathi Nirala ki kavyagat Vishestaye, kavi parichay

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान | Surykant Tripathi Nirala ki kavyagat Vishestaye, kavi parichay

कवि परिचय – इसमें केवल 4 बिंदु लिखे –

जन्मतिथि………… पिता का नाम………….. शिक्षा-दीक्षा…………..मृत्यु……………. 

सूर्यकांत त्रिपाठी‘निराला’का जन्म 21 फ़रवरी 1899 को बनारस में हुआ। इनके पिता का नाम पंडित रामसहाय तिवारी उन्नाव के रहने वाले थे। ये सिपाही की नौकरी करते थे। इनकी शिक्षा उन्नाव जिले में हुई थी। उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेष रुप से कविता के कारण ही है। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भ में से एक है। इनकी मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 में हुए।

     Trick – आराधना तुलसी के गीत गा।

     आराधना,      तुलसी – तुलसीदास,       के – कुकुरमुत्ता ,       गीत – गीतगुंज ,       गा – गीतिका      

ये स्वामी विवेकानन्द और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की दार्शनिक विचारधारा से बहुत प्रभावित थे। निराला के काव्य में बुद्धिवाद और हृदय का सुन्दर समन्वय है। छायावाद, रहस्यवाद और प्रगतिवाद तीनों क्षेत्रों में निराला का अपना विशिष्ट महत्त्वपूर्ण स्थान है।

भाषा-शैली-निराला जी की भाषा संस्कृतगर्भित खड़ीबोली है। यत्र-तत्र बंगला भाषा के शब्दों का भी प्रयोग मिल जाता है।रस-छन्द-अलंकारे-निराला के काव्य में श्रृंगार, वीर, रौद्र और हास्य रस का सुन्दर और स्वाभाविक ढंग से परिपाक हुआ है।

साहित्य में स्थान-निराला जी हिन्दी साहित्य के बहुप्रतिभा सम्पन्न कलाकार एवं साहित्यकार हैं। इन्हें गिने-चुने आधुनिक श्रेष्ठ साहित्यकारों में गिना जाता है, छायावादी चार कवियों (प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी वर्मा) में इनका प्रमुख स्थान है।

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