
सत्यजीत रे – लेखक परिचय, जीवन परिचय,रचनाएँ, भाषा शैली, साहित्य में स्थान | Satyajit Ray – Lekhak Parichay, Jivan Parichay, Rachnaye, Bhasha Shaili, Sahitya me sthan
प्रश्न : सत्यजीत रे का जीवन परिचय निम्नांकित बिंदुओं के अन्तर्गत लिखिए – (1) दो रचनाएँ (2) भाषा शैली (3) साहित्य में स्थान
जीवन परिचय
फिल्मों और लेखन के माध्यम से देश की सच्ची और मार्मिक तस्वीर प्रस्तुत करने वाले सत्यजित एक विश्व विख्यात फिल्म निर्माता थे। इनका जन्म 2 मई 1921 को कलकत्ता में हुआ था। इनके पिता का नाम सुकुमार रे था। इनके शिक्षा दीक्षा कलकत्ता से हुई, स्कूली शिक्षा ख़त्म होने के बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढाई की। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की।
रचनाएँ
ट्रिक : “पापा और चाचा शहर में”
पापा = पथेर पांचाली, अ = अपूर संसार, च = चारुलता, श = शतरंज के खिलाड़ी।
भाषा शैली
सत्यजीत रे की भाषा शैली उनके सिनेमा और साहित्य दोनों में गहरी सादगी और सूक्ष्मता से भरी हुई है। उनकी भाषा सहज, स्पष्ट और संवादात्मक होती है, जिसमें गहराई और भावनात्मकता का संतुलित प्रयोग होता है। वे बारीक पर्यवेक्षण और यथार्थवादी चित्रण के लिए जाने जाते हैं। उनके संवाद सामान्य लोगों की बोलचाल की भाषा में होते हैं, जो कहानी के पात्रों और उनकी परिस्थितियों को जीवन्तता प्रदान करते हैं।
साहित्य में स्थान
सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा और साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मुख्य रूप से एक फिल्म निर्देशक के रूप में प्रसिद्ध, सत्यजीत रे ने न केवल सिनेमा में उत्कृष्ट कार्य किया बल्कि उन्होंने साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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