न्यू एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 भूगोल (Geography) अध्याय 1 संसाधन एवं विकास

New NCERT Solution Class 10th Geography Chapter 1 Question & Answer

न्यू एनसीईआरटी समाधान 2024-25 कक्षा 10 भूगोल अध्याय 1 संसाधन और विकास की महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर हिंदी माध्यम के विद्यार्थी के लिए यहां दिए गए हैं। कक्षा दसवीं भूगोल की पुस्तक समकालीन भारत 1 पाठ 1 के महत्वपूर्ण सवाल जवाब पीडीएफ तथा वीडियो के माध्यम से यहां से प्राप्त किया सकता है। यहां पर आपको परीक्षा के हिसाब से 1 अंकीय, 2 अंकीय, 3 अंकीय,  4 अंकीय प्रश्न और उत्तर उपलब्ध कराई गई है।

प्रश्न 1 संसाधन किसे कहते हैं?

उत्तर: संसाधन वे वस्तुएं, साधन या सामग्रियां हैं जिनका उपयोग मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए करता है। इनमें प्राकृतिक, मानव निर्मित और मानवीय संसाधन शामिल होते हैं।


प्रश्न 2 प्राकृतिक संसाधनों और मानव निर्मित संसाधनों में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • प्राकृतिक संसाधन: ये संसाधन प्रकृति से सीधे प्राप्त होते हैं, जैसे जल, जंगल, खनिज इत्यादि। 
  • मानव निर्मित संसाधन: जब मनुष्य प्राकृतिक चीजों का उपयोग करके कुछ नया बनाता है जो हमारे जीवन के लिए उपयोगी और मूल्यवान हो, तो उसे मानव निर्मित संसाधन कहा जाता है। उदाहरण के लिए, जब हम धातु, लकड़ी, सीमेंट, रेत और सौर ऊर्जा का उपयोग इमारतों, मशीनरी, वाहनों, पुलों, सड़कों आदि को बनाने के लिए करते हैं, तो वे मानव निर्मित संसाधन बन जाते हैं।

प्रश्न 3 नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधनों में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • नवीकरणीय संसाधन: ये संसाधन वे होते हैं जिन्हें पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, जैसे जल, वन, सौर ऊर्जा।

अनवीकरणीय संसाधन: ये संसाधन वे होते हैं जिन्हें पुनः उत्पन्न नहीं किया जा सकता, या जिनका पुनर्नवीकरण बहुत धीमी गति से होता है, जैसे पेट्रोलियम, कोयला, खनिज। 


प्रश्न 4 सतत पोषणीय विकास का क्या अर्थ है?

उत्तर:सतत पोषणीय विकास का अर्थ है पर्यावरण को नुकसान पहुचाएं बिना लगातार विकास करना जिसका उपयोग भविष्य की पीढ़ियों लगातार कर सके ।


प्रश्न 5 रियो डि जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन क्या था?

उत्तर: 1992 में रियो डि जेनेरो में 100 से अधिक राष्ट्रों ने पृथ्वी सम्मेलन में भाग लिया। इसमें पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास की समस्याओं पर विचार किया गया। इसका उद्देश्य सतत विकास के लिए एक कार्य योजना तैयार करना था।


प्रश्न 6 भूमि निम्नीकरण का क्या अर्थ है?

भूमि निम्नीकरण का अर्थ है भूमि की गुणवत्ता में गिरावट, जिससे उसकी उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। यह प्रक्रिया अत्यधिक कृषि, वनों की कटाई, जल निकासी, औद्योगिकीकरण और प्रदूषण के कारण होती है, जिससे भूमि बंजर या अनुपयोगी हो जाती है।


प्रश्न 7 संसाधनों के संरक्षण के लिए गांधी जी का कथन लिखिए

हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात् हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।


प्रश्न 8 सकल कृषित क्षेत्र किसे कहते हैं?

किसी साल में एक बार या उससे ज़्यादा बार बोया गया कुल क्षेत्रफल को  सकल कृषित क्षेत्र कहते हैं।


प्रश्न 9 मृदा परिच्छेदिका का किसे कहते हैं ?

उत्तर – पृथ्वी की ऊपरी सतह से लेकर नीचे की ओर मिट्टी के ऊर्ध्वाधर काट को मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile) कहते हैं।


प्रश्न 10 अवनालिका किसे कहते हैं ?

उत्तर – बहता जल मृतिकायुक्त मृदाओं को काटते हुए गहरी वाहिकाएं बनाता हैं, जिन्हें अवनालिका कहते हैं।


प्रश्न 11 उत्खात भूमि किसे कहते हैं ?

बहता जल मृतिकायुक्त मृदाओं को काटते हुए गहरी वाहिकाएं बनाता हैं, जिन्हें अवनालिका कहते हैं।ऐसी भूमि जो इतनी योग्य नहीं होती इसे उत्खात भूमि कहते हैं।


प्रश्न 12 चादर अपरदन किसे कहते हैं?

उत्तर – जब किसी विस्तृत क्षेत्र की ऊपरी मृदा घुलकर जल के साथ बह जाती है तो उसे चादर अपरदन कहा जाता है।


प्रश्न 13 पवन अपरदन किसे कहते हैं?

उत्तर – पवन द्वारा मैदान तथा ढालू क्षेत्र से मृदा को उड़ाकर ले जाने वाली प्रक्रिया पवन अपरदन कहलाती है।


प्रश्न 14 समोच्च जुताई किसे कहते हैं ?

उत्तर – ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समानांतर हल चलाने से ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती है। इसे समोच्च जुताई कहते हैं।


प्रश्न 15 पट्टी कृषि किसे कहते हैं?

उत्तर – पट्टी कृषि के अन्तर्गत बड़े खेतों को पट्टियों में बाँटा जाता है। फसलों के बीच में घास की पट्टियाँ उगाई जाती हैं। ये पवनों द्वारा जनित बल को कमजोर करती हैं।


प्रश्न 1 संसाधनों का वर्गीकरण किन-किन आधारों पर किया जा सकता है?

उत्तर: संसाधनों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है:

  • उत्पत्ति के आधार पर: जैविक और अजैविक संसाधन
  • समय के आधार पर: नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधन
  • स्वामित्व के आधार पर: व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन
  • विकास के आधार पर: संभावित, विकसित, भंडार, और संग्रहित संसाधन

प्रश्न 2 एजेंडा 21 क्या है? इसका उद्देश्य लिखिए।

यह एक घोषणा है जिसे 1992 में ब्राजील के शहर रियो-डी-जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UNCED) के तत्वाधान में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा स्वीकृत किया गया था। 

एजेंडा-21 का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रत्येक स्थानीय निकाय अपना स्थानीय एजेंडा-21 तैयार


प्रश्न 3 संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?

संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है क्योंकि ये सीमित हैं और इनका अत्यधिक या अनियमित उपयोग भविष्य में संकट पैदा कर सकता है। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन बनाए रखने, जैव विविधता की रक्षा करने, भावी पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने और सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 4 मृदा अपरदन किसे कहते हैं ?

उत्तर – मिट्टी के कटाव और उसके बहन की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहते हैं। मृदा की बनी और अपरदन की प्रक्रिया साथ-साथ चलती है।


प्रश्न 5 मृदा संरक्षण के प्रमुख उपाय बताइए ?

मृदा संरक्षण, मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उत्पादकता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:

  1. वृक्षारोपण: पेड़ और पौधे मिट्टी को स्थिर रखने में मदद करते हैं। उनकी जड़ों से मिट्टी की ऊपरी परत सुरक्षित रहती है, जिससे कटाव कम होता है।
  2. विकासशील कृषि तकनीकें: उचित कृषि पद्धतियों जैसे टेरासिंग, मिश्रित खेती, और फसल चक्रण का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और अपरदन कम होता है।
  3. मिट्टी की जुताई: कम गहरी जुताई और ड्रेजिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना को बनाए रखा जा सकता है और पानी की धारण क्षमता में वृद्धि होती है।
  4. जैविक खाद का उपयोग: रासायनिक उर्वरकों के बजाय जैविक खाद का उपयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और उसके पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है।
  5. जल संरक्षण: जल संचयन प्रणालियों का निर्माण करने से बारिश के पानी को संरक्षित किया जा सकता है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है।

प्रश्न 6 बांगर और खादर में अंतर बताइए। 

प्रश्न 1 संसाधन नियोजन (प्रबंधन) की आवश्यकता क्यों है? इसके सोपान लिखिए –

उत्तर: संसाधन प्रबंधन इसलिए आवश्यक है ताकि उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग हो सके और भविष्य में उनकी कमी से बचा जा सके। बिना उचित प्रबंधन के, संसाधनों का अति उपयोग हो सकता है जिससे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है और भविष्य की पीढ़ियों को आवश्यक संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए संसाधन का नियोजन (प्रबंधन) आवश्यक है।

संसाधन नियोजन के सोपान– 

(क) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है। 

(ख) संसाधन विकास योजनाएँ लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना। 

(ग) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।


प्रश्न 2 भारत में भूमि निम्नीकरण के मुख्य कारण क्या हैं?

भारत में भूमि निम्नीकरण के मुख्य कारण – 

  1. वनों की कटाई।
  2. अत्यधिक पशुचारण।
  3. रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का ज़्यादा इस्तेमाल।
  4. जल जमाव।
  5. एकल फ़सल उत्पादन।
  6. औद्योगिक और खनन गतिविधियां।

प्रश्न 3 भूमि निम्नीकरण की समस्याओं को हल करने के से उपाय बताइए ।

भूमि निम्नीकरण की समस्याओं को हल करने के उपाय –

  1. चरागाहों का उचित प्रबंधन और पशुचारण नियंत्रण करना।
  2. खनन गतिविधियों पर नियंत्रण रखना।
  3. जैविक कृषि को बढ़ावा देना।
  4. वैज्ञानिक कृषि को प्रोत्साहित करना। 

प्रश्न 4 भारत में जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी व लेटराइट मिट्टी की विशेषताएं एवं वितरण को स्पष्ट कीजिए। 

जलोढ़ मिट्टी – जलोढ़ मिट्टी नदियों द्वारा लाए गए तलछट से बनने वाली अत्यंत उपजाऊ मिट्टी है, जो मुख्यतः गंगा-ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के मैदानों में पाई जाती है। इसकी जल धारण क्षमता और पोषक तत्वों की प्रचुरता इसे कृषि के लिए बेहद उपयुक्त बनाती है। इस मिट्टी में धान, गेहूं, गन्ना जैसी फसलें आसानी से उगाई जाती हैं। हालांकि, यह मिट्टी बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में पाई जाती है, जिससे कभी-कभी फसलों को नुकसान भी हो सकता है। इसके बावजूद, भारतीय कृषि में जलोढ़ मिट्टी की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि यह देश के खाद्य उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करती है।

जलोढ़ मिट्टी की विशेषताएं (NCERT के अनुसार):

  1. प्रकृति और बनावट: जलोढ़ मिट्टी में रेत, गाद, और चिकनी मिट्टी का मिश्रण होता है। यह मिट्टी हल्की से लेकर भारी तक हो सकती है और बनावट में बलुई से लेकर चिकनी तक भिन्न होती है।
  2. उपजाऊ मिट्टी: यह मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ होती है क्योंकि इसमें पोटाश, फॉस्फोरस, और चूना जैसे महत्वपूर्ण खनिज होते हैं। इसके कारण फसलों की अच्छी उपज होती है।
  3. जल धारण क्षमता: जलोढ़ मिट्टी में पानी को धारण करने की उच्च क्षमता होती है, जो इसे सिंचाई के बिना भी फसलों के लिए उपयुक्त बनाती है।
  4. फसल उत्पादन के लिए उपयुक्त: इसकी उर्वरता और जल धारण क्षमता इसे धान, गेहूं, गन्ना, कपास, और दलहन जैसी फसलों के लिए अत्यधिक उपयुक्त बनाती है।

प्रकार:

  • खादर मिट्टी: यह नई जलोढ़ मिट्टी होती है, जो नदियों के किनारे हर साल जमा होती है। यह अधिक उपजाऊ होती है।
  • बांगड़ मिट्टी: यह पुरानी जलोढ़ मिट्टी होती है, जो बाढ़ के मैदानों से दूर होती है। इसका उर्वरता स्तर थोड़ा कम होता है, लेकिन यह अधिक स्थिर और गहरी होती है।

काली मिट्टी – काली मिट्टी, जिसे रेगुर मिट्टी या कपास मिट्टी भी कहा जाता है, मुख्य रूप से भारत के दक्कन पठार क्षेत्र में पाई जाती है। इसमें चूना, पोटाश, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह मिट्टी पानी को धारण करने की उच्च क्षमता रखती है, जिससे सूखे के समय भी यह फसलों को नमी प्रदान कर सकती है। काली मिट्टी कपास, ज्वार, बाजरा, तूर दाल, और गेहूं जैसी फसलों के लिए आदर्श मानी जाती है। इसके चिपचिपे स्वभाव के कारण जुताई कठिन हो सकती है, लेकिन इसकी उर्वरता कृषि के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है।

काली मिट्टी की विशेषताएं (NCERT के अनुसार):

उत्पत्ति: काली मिट्टी मुख्यतः बेसाल्टिक चट्टानों के टूटने और विघटन से बनी होती है। यह मिट्टी ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाई जाती है।

खनिज तत्व: काली मिट्टी में चूना, पोटाश, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इसे उर्वर बनाते हैं।

पानी धारण करने की क्षमता: इस मिट्टी की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी पानी धारण करने की क्षमता है। यह लंबे समय तक नमी बनाए रखती है, जिससे सूखे में भी फसलों को लाभ मिलता है।

कपास की खेती के लिए उपयुक्त: इसे “कपास मिट्टी” भी कहा जाता है, क्योंकि यह कपास की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

भौगोलिक वितरण: भारत में यह मिट्टी मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के दक्कन पठार क्षेत्र में पाई जाती है।

लेटराइट मिट्टी – लेटराइट मिट्टी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा और उच्च तापमान के कारण बनने वाली मिट्टी है। इसमें लौह और एल्युमिनियम के ऑक्साइड अधिक मात्रा में होते हैं, जिससे इसका रंग लाल या भूरा होता है। यह मिट्टी प्रायः कम उर्वर होती है, क्योंकि लगातार बारिश के कारण पोषक तत्व धुल जाते हैं। लेटराइट मिट्टी मुख्यतः चाय, कॉफी, रबर, और काजू की खेती के लिए उपयुक्त होती है। भारत में यह मुख्यतः कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए इसमें जैविक खाद और उर्वरक का उपयोग आवश्यक है।

लेटराइट मिट्टी की विशेषताएं (NCERT के अनुसार):

  1. रासायनिक संरचना: लेटराइट मिट्टी में आयरन (लोहा) और एल्युमिनियम (एल्यूमिनियम) की प्रचुरता होती है। इसमें अन्य खनिजों की मात्रा कम होती है, जिससे इसका रंग लाल या भूरे रंग का होता है।
  2. उपजाऊता: यह मिट्टी सामान्यतः कम उपजाऊ होती है, क्योंकि इसमें आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। विशेषकर, फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है।
  3. पानी की धारण क्षमता: लेटराइट मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होती है, जिससे यह जल्दी सूख जाती है।
  4. खेतों में उपयोग: लेटराइट मिट्टी का उपयोग मुख्यतः चाय, कॉफी, और कुछ प्रकार के फलों की खेती के लिए किया जाता है।

प्रश्न 5 मृदा अपरदन के प्रमुख कारण बताइए?

जलवायु परिवर्तन: भारी बारिश और तेज़ हवाएँ मिट्टी के कटाव का प्रमुख कारण बनती हैं। बारिश के पानी से मिट्टी का कटाव होता है, विशेष रूप से ढलान वाले क्षेत्रों में।

वृक्षारोपण का अभाव: पेड़ों की कमी मिट्टी को स्थिर रखने वाले जड़ों के अभाव में कटाव को बढ़ावा देती है। वृक्षारोपण न होने पर मिट्टी खुली होती है और उसकी सुरक्षा कम हो जाती है।

अतिवृष्टि और सूखा: अत्यधिक वर्षा मिट्टी को धोकर ले जाती है, जबकि सूखा मिट्टी की संरचना को कमजोर करता है, जिससे वह अधिक आसानी से कट जाती है।

अव्यवस्थित कृषि: अनुचित खेती की तकनीकें, जैसे कि गहरी जुताई, मिट्टी के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं और इसकी उर्वरता कम करती हैं।

शहरीकरण: शहरी क्षेत्रों का विकास और अव्यवस्थित निर्माण मिट्टी के कटाव को बढ़ाता है। कंक्रीट और अन्य निर्माण सामग्री मिट्टी की प्राकृतिक संरचना को नष्ट कर देती हैं।

पशुपालन: अत्यधिक पशुपालन से भी मिट्टी का क्षरण होता है, क्योंकि पशुओं का चरा हुआ क्षेत्र मिट्टी को खोखला और कमजोर कर देता है।


कक्षा 10 भूगोल अध्याय 1 FAQs

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