नागार्जुन का जीवन परिचय, रचनाएँ, भाव पक्ष-कला पक्ष, साहित्य में स्थान | Nagarjun ki Kavygat Vishestaye, Rachnaye, Bhavpaksha-kalapaksha, Sahitya me Sthan

नागार्जुन का जीवन परिचय | Nagarjun ki Kavygat Vishestaye | नागार्जुन की रचनाएँ | नागार्जुन का भाव पक्ष | नागार्जुन की कला पक्ष | नागार्जुन का साहित्य में स्थान

इसमें केवल 4 बिंदु लिखे –

जन्मतिथि………… पिता का नाम………….. शिक्षा-दीक्षा…………..मृत्यु……………. 

बाबा नागार्जुन का जन्म 30 जून 1911 को दरभंगा जिले के सतलखा ग्राम में हुआ। इनका असली नाम वैधनाथ था और प्रारंभ में कविता यात्री नाम से लिखा करते थे। इनके पिता का नाम पंडित गोकुल मिश्र था। ये पूजा पाठ का कम करते थे। इनकी शिक्षा संस्कृत पाठशाला में हुई। आपने देश- विदेश में घूमते हुए अनेक भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। इनकी मृत्यु 1998 में हुई।

    Trick – इस युग में अकाल पड़ा तो भस्मासुर प्रेत बना।

 युग – युगधारा        

अकाल – अकाल और उसके बाद         

भस्मासुर – भस्मांकुर          

प्रेत – प्रेत का बयान               

समाजकेप्रतिसंवेदनशीलता: नागार्जुन की कविताओं और कहानियों में आम जनता के दुख-दर्द, शोषण, गरीबी, और विद्रोह को बड़ी संवेदनशीलता से उभारा गया है। 

विद्रोहीस्वभाव: वे सामाजिक अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर आवाज उठाते हैं। 

प्रकृतिप्रेम: नागार्जुन की रचनाओं में प्रकृति का सुंदर और सजीव चित्रण मिलता है। उनके कई कविताओं में नदियों, पहाड़ों, और गांव की प्रकृति का वर्णन मिलता है। 

भाषा – इन्होंने अपनी बोलचाल में खड़ी बोली का प्रयोग किया है। साथ ही बंग्ला, मैथली में भी कविता लिखना प्रारम्भ किया।

अलंकार – नागार्जुन ने काव्य में अलंकार का सहज, स्वाभाविक प्रयोग किया।

छंद – नागार्जुन ने छंदबद्व तथा छंदमुक्त दो प्रकार के काव्य की रचना की है। 

नागार्जुन को हिंदी साहित्य के सबसे प्रभावशाली कवियों में से एक माना जाता है। उनकी कविता में मार्क्सवादी विचारधारा, सामाजिक चेतना और भारतीय लोक संस्कृति का गहरा सम्मिश्रण देखने को मिलता है। उनकी कविताएँ सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि जीने के लिए होती हैं।

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