मंगलेश डबराल का जीवन परिचय | Manglesh Dabral ki Kavygat Vishestaye

मंगलेश डबराल का जीवन परिचय | Manglesh Dabral ki Kavyagat VisheShataye | मंगलेश डबराल की रचनाएँ | मंगलेश डबराल की भाव पक्ष | मंगलेश डबराल की कला पक्ष

इसमें केवल 4 बिंदु लिखे –

जन्मतिथि………… पिता का नाम………….. शिक्षा-दीक्षा…………..मृत्यु……………. 

मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को बनारस में हुआ। टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड के काफलपानी गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम अमित दुबे था। उनकी शिक्षा देहरादून और इलाहाबाद में हुई। कोरोना संक्रमित होने से 9 दिसंबर 2020 को इनका निधन हो गया।

हम घर के रास्ते से पहाड़ जा रहे थे, तभी शत्रु की आवाज सुनाई दी।

हम – हम जो देखते है   

घर के रास्ते – घर का रास्ता  

पहाड़ – पहाड़ पर लालटेन 

शत्रु – नए युग में शत्रु  

आवाज – आवाज भी एक जगह है      

मंगलेश डबराल के काव्य में सामन्ती बोध तथा पूँजीवादी छल-कपट का स्पष्ट प्रतिकार है। वे यह विरोध किसी शोर-शराबे के माध्यम से न करके, बल्कि एक सुन्दर स्वप्न के माध्यम से करते थे। उन्होंने संगतकार जैसे अज्ञात कलाकारों के महत्त्व को रेखांकित किया है।

मंगलेश डबराल की काव्य शैली सहज और स्पष्ट है, जो आम पाठक को तुरंत प्रभावित करती है। वे सरल, लेकिन प्रभावशाली भाषा का प्रयोग करते हैं, इन्होंने अपनी कविता में हिंदी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत भाषा का भी प्रयोग किया हैं। मंगलेश डबराल का अलंकारों के प्रति मोह नहीं है फिर भी उनके काव्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का सौन्दर्य दिखाई देता है। मंगलेश डबराल ने छंदमुक्त काव्य का सृजन किया है।

पत्रकार, साहित्यकार तथा चिन्तक के रूप में मंगलेश डबराल का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने अछूते विषयों पर काव्य सृजन करके अनूठा कार्य किया है। मंगलेश डबराल अपने साहित्यिक योगदान के लिए चिरकाल तक स्मरण किए जायेंगे।

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