कुँवर नारायण – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान || Kuwar Narayan ki do Rachnaye, Bhao Paksha, Kala Paksha, Sahitya Me Sthan

कुँवर नारायण – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान || Kuwar Narayan ki do Rachnaye, Bhao Paksha, Kala Paksha, Sahitya Me Sthan

कुँवर नारायण का जीवन परिचय

परिचय

कुंवर नारायण हिंदी के एक साहित्यकार थे। वर्ष 2009 में इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कुंवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिए वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है। कुंवर नारायण कविता के अलावा कहानी, लेख व समीक्षा के साथ मिलकर सिनेमा, रंगमंच तथा अन्य कलाओं पर भी बखूबी लेखनी चलाई है। इतना ही नहीं कविता और कहानी को कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी कर चुके हैं।

रचनाएँ

Trick – चक्रव्यूह में इन दिनों अब नहीं फँसना, क्योकि तुम्हारे जैसे कोई दूसरा नहीं।

भाव पक्ष

कुँवर नारायण की कविताओं में परम्परा, मानवीय आशा – निराशा और सुख – दुःख का वर्णन आधुनिक जीवन में यथार्थ की तरह होता। सत्य और अहिंसा उनकी रचनाओं में प्रमुखता से घुली हुई है|

कला पक्ष

कुँवर नारायण के काव्य में अलंकारों का स्वाभाविक रूप से प्रयोग हुआ है।अनुप्रास, यमक , उपमा आदि अलंकारों के प्रयोग से कविता अत्यंत प्रभावी बन गई है। इनके काव्य में मुख्य रूप से प्रबन्ध काव्य का प्रयोग हुआ है।

साहित्य में स्थान

हिन्दी कविता में कुंवर नारायण की उपस्थित एक विलक्षण कवि के रूप में रही है , मुक्तिबोध ने अपने समीक्षा में उन्हें अंतरात्मा की पीड़ित विवेक, चेतना और जीवन की आलोचना का कवि कहा है।

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