कृष्णा सोबती का जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा-शैली, साहित्य में स्थान | Krishna Sobti ka jivan Parichay, Rachnaye, Bhasha Shaili, Sahitya me sthan

कृष्णा सोबती का जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा-शैली, साहित्य में स्थान | Krishna Sobti ka jivan Parichay, Rachnaye, Bhasha Shaili, Sahitya me sthan

इसमें केवल 4 बिंदु लिखे –

जन्मतिथि………… पिता का नाम………….. शिक्षा-दीक्षा…………..मृत्यु…………….

सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के गुजरात शहर में हुआ था । ( गुजरात , विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बन गया ) इनके पिता का नाम दीवान पृथ्वीराज सोबती था। उनकी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली और शिमला में हुई । अपने बुढ़ापे में, जब वह अपने 70 वें जन्मदिन से आगे निकल गईं, उन्होंने डोगरी लेखक शिवनाथ से विवाह किया, जो एक उल्लेखनीय संयोग से उसी वर्ष उसी दिन पैदा हुए थे कुछ वर्षों बाद शिवनाथ की मृत्यु हो गई।लंबी बीमारी के बाद 25 जनवरी 2019 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।

    Trick – सूरज लड़की को मित्र बनाओ दिल से 

सूरज  –  सूरजमुखी अँधेरे के                

लड़की – ए लड़की                   

मित्र – मित्रो मरजानी                  

दिल – दिलो दानिश

1. आंचलिकता: कृष्णा सोबती की रचनाओं में आंचलिक भाषा का अद्भुत प्रयोग मिलता है। उन्होंने अपने पात्रों की भाषा में क्षेत्रीय बोलियों और मुहावरों का सजीव चित्रण किया है।

2. संवादोंकीजीवंतता: सोबती के संवाद बहुत ही सजीव और वास्तविक होते हैं। 

3. साधारणऔरसरलभाषा: सोबती की भाषा शैली में साधारण और सरल शब्दों का प्रयोग अधिक होता है, जिससे पाठक उनके लेखन को आसानी से समझ सकता है। हालाँकि उनकी रचनाओं में गहन अर्थ छिपे होते हैं।

4. स्त्रीविमर्श: सोबती की भाषा शैली में स्त्री पात्रों के मानसिक और भावनात्मक अनुभवों का सूक्ष्म वर्णन किया गया है। उनकी रचनाएँ महिलाओं की स्वतंत्रता, स्वाभिमान और संघर्षों को विशेष रूप से उभारती हैं।

हिंदी कथा साहित्य में कृष्णा सोबती की विशिष्ट पहचान है। वह मानती है कि कम लिखो लेकिन विशिष्ट लिखो। यही कारण है कि उनके संयमित लेखन और साफ़ रचनात्मकता अपना एक नित नया पाठक वर्ग बनाया है।

कृष्णा सोबती कौन थीं?

कृष्णा सोबती एक प्रसिद्ध हिंदी लेखिका थीं जिन्हें अपने उपन्यासों और कहानियों के लिए जाना जाता है।

कृष्णा सोबती का जन्म कब और कहां हुआ था?

कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को गुजरात (अब पाकिस्तान में) हुआ था।

कृष्णा सोबती की प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं?

उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘ज़िन्दगीनामा’, ‘मित्रो मरजानी’, ‘डार से बिछुड़ी’, और ‘समय सरगम’ शामिल हैं।

कृष्णा सोबती को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?

उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, और पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।

कृष्णा सोबती का साहित्यिक योगदान क्या है?

कृष्णा सोबती ने भारतीय समाज, खासकर महिलाओं की स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला। उनके लेखन में सामाजिक यथार्थ और स्त्री विमर्श की गहरी छाप है।

कृष्णा सोबती का लेखन किस शैली का था?

उनका लेखन यथार्थवादी और समाज पर आधारित था। वे स्त्री मनोविज्ञान और स्वतंत्रता के विषयों पर लिखने के लिए जानी जाती थीं।

कृष्णा सोबती का साहित्यिक सफर कब शुरू हुआ?

उन्होंने अपने लेखन की शुरुआत 1944 में की थी और उनका पहला उपन्यास ‘चन्ना’ था, जो बाद में ‘ज़िन्दगीनामा’ के रूप में प्रकाशित हुआ।

कृष्णा सोबती का निधन कब हुआ?

उनका निधन 25 जनवरी 2019 को हुआ था।

कृष्णा सोबती की कौन सी पुस्तकें सबसे ज्यादा चर्चित हैं?

मित्रो मरजानी’, ‘डार से बिछुड़ी’, और ‘ज़िन्दगीनामा’ उनकी चर्चित पुस्तकें हैं।

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