जयशंकर प्रसाद – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान | Jayshankar Prasad Ki Parichay, rachnaye, Bhavpaksha, kalapaksha, Sahitya me Sthan

जयशंकर प्रसाद – कवि परिचय, दो रचनाएँ, भावपक्ष – कलापक्ष, साहित्य में स्थान | jayshankar Prasad Ki Parichay, rachnaye, Bhavpaksha, kalapaksha, Sahitya me Sthan

कवि परिचय – इसमें केवल 4 बिंदु लिखे –

जन्मतिथि………… पिता का नाम………….. शिक्षा-दीक्षा…………..मृत्यु……………. 

जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को बनारस में हुआ।इनके पिता का नाम बाबू देवी प्रसाद था ये दान देने के साथ-साथ कलाकार का आदर करने के लिए विख्यात थे। इनकी शिक्षा काशी में हुई थी। ये हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भ में से एक है। इनकी मृत्यु 15 नबम्बर 1937 में हुए।

Trick – एक झलक

ए – एक घूँट, क-कामायनी, झ-झरना, ल-लहर, क-कंकाल

प्रसाद जी मुख्यतः प्रेम और सौन्दर्य के उपासक हैं। जयशंकर प्रसाद ने भारतीय अतीत के गौरवपूर्ण रूप को अपने साहित्य में उभारा है। उनका साहित्य शक्ति और ओज का साहित्य है। प्रसाद जी की रचनाओं में नारी के प्रति श्रध्दा एवं सम्मान के भाव है। काव्य में अनुभूति की गहनता विद्यमान है।

प्रसाद जी की भाषा खड़ी परिष्कृत है संस्कृत के शब्दों का भी प्रयोग किया है| एवं उनके भाव सरल और गंभीर भी है अलंकारों का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया है, उन्होंने नए-नए छंद को अपनाया है, साथ ही परंपरागत चंदू का भी प्रयोग किया है।

प्रसाद जी को साहित्य में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है इन्हें गिने-चुने आधुनिक श्रेष्ठ साहित्यकारों में गिना जाता है इन्हें कामायनी तुलसी और रामचरितमानस के बाद सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल है।

Leave a Reply