भदंत आनंद कौसल्यायन का जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा-शैली, साहित्य में स्थान | Bhadant Anand Kausalyayan Jeevan Parichay, Rachnaye, Bhasha-shaili, Sahitya me sthan
प्रश्न : भदंत आनंद कौसल्यायन का जीवन परिचय निम्नांकित बिंदुओं के अन्तर्गत लिखिए – (1) दो रचनाएँ (2) भाषा शैली (3) साहित्य में स्थान

जीवन परिचय
भदंत आनंद कौसल्यायन जी का जन्म 1905 ई० में पंजाब के अंबाला जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम उनके पिता ………….।इनकी शिक्षा नेशनल कॉलेज लाहौर से BA किया। इन पर महात्मा गांधी का बहुत प्रभाव पड़ा। बौद्ध भिक्षु भदंत आनंद कौसल्यायन का हिंदी से बहुत लगाव था। इनका देहावसान 1988 ई. को हुआ।
रचनाएँ
TRICK : “बौद्ध भिक्षु की संस्कृति रेल”
बौद्ध – बौद्ध धर्म का सार
भिक्षु – भिक्षु के पत्र
संस्कृति – संस्कृति
रेल – रेल का टिकट
भाषा
यतीन्द्र मिश्र का भाषा पर पूर्ण अधिकार है। वे शुद्ध साहित्यिक सरल भाषा का प्रयोग करते थे। इन्होंने आवश्यकता अनुसार तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग किया हैं। ये मुहावरों और लोकोक्तियों का भी प्रयोग की हैं।
शैली
ये अध्ययन एवं चिंतन में संलग्न रहने वाले कवि थे। इन्होंने विचारात्मक, वर्णात्मक, भावात्मक, विवेचनात्मक शैली का प्रयोग किया।
साहित्य में स्थान
निबंध, संस्मरण, वृतांत आदि से हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने वाले भदंत आनंद कौसल्यायन का हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान हैं।

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